Ujjwal Nikam: भाजपा ने शनिवार को सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम को मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से अपना उम्मीदवार बनाने का फैस …अधिक पढ़ें
- एजेंसियां Source
- LAST UPDATED : APRIL 27, 2024, 22:42 IST
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मुंबई .
भाजपा ने शनिवार को सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम को मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया. 2014 से इस सीट से पूनम महाजन सांसद चुनी गईं थीं. इससे पहेल पूनम महाजन को ही टिकट दिया गया था. निकम को आतंकवादी अजमल कसाब सहित कई हाई-प्रोफाइल मुकदमों की पैरवी करने का श्रेय दिया जाता है. यह फैसला कांग्रेस ने अपनी मुंबई प्रमुख वर्षा गायकवाड़ को सीट से मैदान में उतारने के 48 घंटे बाद आया. निकम 26/11 हमले के मामले में सरकारी वकील के रूप में अपनी भूमिका के लिए मशहूर हैं. महाराष्ट्र में मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और उनमें 20 मई को मतदान होगा. वोटों की गिनती 4 जून को होगी. उज्ज्वल निकम के बारे में 5 बड़ी बातें यहां दी गई हैं-
उज्ज्वल निकम का जन्म 30 मार्च 1953 को महाराष्ट्र के जलगांव में वकील देवराव माधवराव निकम और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विमलादेवी के घर हुआ था. निकम के पास विज्ञान स्नातक की डिग्री है और उन्होंने जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की है.
उज्ज्वल निकम कुछ प्रसिद्ध अदालती मामलों में एक प्रमुख वकील रहे हैं. 1991 में कल्याण बम विस्फोट के लिए रविंदर सिंह को दोषी ठहराने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई. उनके करियर में 1993 में एक बड़ा मोड़ आया जब वह मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में सरकारी वकील बने. उन्होंने आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत में 14 साल से अधिक समय तक काम किया.
उज्ज्वल निकम 26/11 हमले के बाद पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब के मुकदमे में सरकारी वकील थे. उन्होंने कसाब की मौत की सजा के लिए सफलतापूर्वक बहस की.
उज्ज्वल निकम के कानूनी करियर में कई हाई-प्रोफाइल कार्य भी शामिल हैं जैसे कि 1997 में बॉलीवुड निर्माता और टी सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या का मामला. 2006 में निकम प्रमोद महाजन की हत्या के मामले में भी अभियोजक थे. जिनकी उनके भाई प्रवीण ने अप्रैल 2006 में एक विवाद के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी.
उज्ज्वल निकम को 2009 के बाद जेड-प्लस सुरक्षा प्रदान की गई थी, जब वह 26/11 मामले में अभियोजक बने थे. 2016 में, उन्हें भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया.